योगदान देने वाला व्यक्ति

30 जनवरी 2015

फख्र


" पापा ! कैसी लग रही हूँ यूनिफार्म में !! "
ऋचा को यूनिफार्म में देख कर्नल साहेब की आँखे भर आई
" बहुत सुन्दर बेटा "
"अभी तक मैं अपने बेटो पर नाज करता आया था , आज मेरी बेटी ने भी फख्र से मेरा सर ऊँचा कर दिया '
बिटिया को सर थपथपाते हुए कर्नल साहेब को याद आने लगी अपनी माँ की बाते जो तब उन्होंने नही मानी थी
' अरे लड़की हैं तेरी बीबी के गर्भ में , क्या करोगे तीसरा बच्चा , लड़का होता तो भी ठीक था सफाई करा दो ,आजकल लडकिया नाको चने चबवा देती पहले इनको इतना पढाओ फिर इतना दहेज़ देके ब्याहों ज़माना भी कित्ता ख़राब !"

17 जनवरी 2015

( स्वयंसिद्ध)

"यह बच्चा कौन हैं जो सड़क पर झाड़ू लगा रहा हैं "
दोपहर में मुश्किल से आँख लगी थी कि झाडू की आवाज़ से खलल पड़ गया और मीना जोर से चिल्लाई 
माँ आपने राशन से गेंहू लाने को कहे थे न , मैं वोह लेकर आ रहा था वहीँ यह बच्चा भीख मांग रहा था मैंने कहा मेरे साथ घर चलो खाना खिला दूंगा पर पैसे नही दूंगा क्या पता पैसे लेकर क्या गलत आदत लगा बैठ'ता " सनी ने माँ को बताया
" पर यह अब झाड़ू क्यों लगा रहा हैं "
" माँ साइकिल से उतारते वक़्त थोडा गेहू गिर गया था "
" गलत बात ! आपको खुद एकत्र करना चाहिए था ,वोह बच्चा हैं | तुम इसको खाना खिलाने लाये हो, पर बदले में कुछ काम भी करा लिया इस'से इसके बालमन को लगेगा कही भी छोटा सा काम करो दोएक वक़्त का खाना खा लो ,खुद काम करके इसको सीख देते कि इंसान को सब काम खुद करने चाहिए अगर तुम चाहते हो यह आगे भीख न मांगे तो इसको शाम को मुफ्त शिक्षा दिया करो "
कहते हुए मीना बच्चे के लिय खाना लेने रसोई घर की तरफ चल दी और सनी भी माँ के कहे का चिंतन करने लगा

उतना ही

"
उतना ही "

नीचे आँखे किये वोह मुस्कुरा कर बोली 
" अब भी उतना ही " 
" और कितना "
"जितना तुम्हारा दिल कहता उस'से बस उतना दुगुना " 
"मेरा दिल तो कहता तुम मुझसे प्यार ही नही करती "
" तो यही समझ लो मैं दुगुना प्यार नही करती "
कुछ बाते जो पता होती हैं तो भी उसे बार बार लफ्जों में सुन लेने का दिल चाहता हैं और पुरुष जानते हैं स्त्री के दिल पर उनका ही अधिकार हैं फिर भी शरारती अंदाज़ में हर बार बार बार पूछते हैं 
"कितना प्यार करती हो मुझे "
और स्त्री मंद मंद मुस्कुराती हैं मन के अंदरूनी कोने से 
"उतना ही