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24 जुलाई 2014

फ़िक्र


"मरजानी!!! खसमा नु खानी !!! 
किथ्थे गयी सी !!"
"बेबे !! ओ निक्की घरे गयी सी !!" नोट्स लेन दस के तान गयी सी काके नु " 
" काके तू दास्या नि बीबी नु "
माँ के पीठ पर पड़े जोरदार प्रहार से मिन्नी बिलबिला उठी और बेबस होकर माँ और काके की तरफ देखने लगी 
" कदों दस के गयी सी !! तू तान उस मोटरसाइकिल आले नाल गप्पा मारदी सी जदों मैं तेरे कोलो मैग्गी मंगी सी "
"मैं कद्दो गप्पा मारियाँ . झूठ न बोल उनने तान सरदार मिल्खा सिंह का घर पुचेया सी मैं दस दित्ता बस " .
"तू क्यों दसस्या??मेनू कहन्दी मैं दस देनदा " काके ने माँ की तरफ देखते हुए कहा
"चुन्नी पाके तेरो कोलो बार नि निकला जांदा .........ते वीर नु कहन्दी ओह गल करदा ..आज तो बाद जे तू किसे निक्की /मिक्की दे घरे गयी बिना वीर दे ते मैं तेन्नु इससे जमीन इच दब देना .पियो तेरा बार रहंदा .कल्ली मैं किवे सँभा तेन्नु !! माँ ने दहाड़ लगायी
हाय रब्बा एक सादा ज़माना सी कल्ले पन्ज पिन्दा दी गेड़ी मार लेनदे सी .......
माँ ने अखबार को चूल्हे में लगा दिया जिसपर मोहन गंज में हुए बलात्कार की नंगी तस्वीरे छपी थी .उत्तर प्रदेश हो या बिहार या पंजाब .................सबको अपनी बेटियों की फ़िक्र होने लगी.....

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