"बहुत गालियाँ दे चुकी हो बेरोज़गारी पर , आओ मैं दिखाती हूँ तुमको एक ऐसा उद्योग जहा जन्म से पहले ही रोजगार का जुगाड़ हो जाता हैं और हम सब उस रोज़गार के पनपने में सहायक हैं . क्यों? विश्वास नही हो रहा मेरी बात पर ! "कहते हुए निशा दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और कार तेज़ी से गाँधी रोड की तरफ मोड़ दी , बिंदाल नदी पर बने पुल के नीचे बनी झुग्गियो के सामने जैसे ही कार रुकी नंगे और गंदे कपडे पहने बच्चो ने शोर मचाना शुरू कर दिया रुमाल से मुह को दबा कर मैं नीता दी के पीछे चलने लगी उफ़ यहाँ कौन सा कुटीर उद्योग लगा हुआ हैं ? एक कोठरी में घुसते ही नीता दी ने मुझे कहा " अब आया कुछ समझ " चारो तरफ गंदगी का साम्राज्य था प्रोढ़ उम्र की एक गर्भवती महिला एवं उसका पति छोटे छोटे बच्चो से घिरे थे , घर की माली हालत बहुत ख़राब लग रही थी परन्तु इतने सारे बच्चे !! कहाँ से खाते होंगे और इनका रोजगार से क्या लेना देना यह सोच मुझे परेशान करने लगी ...नीता दी ने कहा यह लोग भिखारी हैं .बच्चे पैदा करते हैं भीख मंगवाने के लिय , इनका अपना एक मकान भी हैं प्रेम नगर में, परन्तु रहते यही हैं आदत सी पढ़ गयी हैं इनको ऐसे हालत में रहने की , मैं इनके लिय एक N G O चलाती हूँ परन्तु तुम जैसे लोग तरस खाते हैं इन जैसो पर , इनको भीख मत दो काम दो तुरंत आय कीचाह में यहाँ की हर नारी हर साल बच्चा पैदा करने को मजबूर की जाती हैं और हर बच्चा भीख मांगने को मजबूर ,
घर आते हुए रेड सिंग्नल पर अब मेरे हाथ पर्स से पैसे निकाल लेने को नही उठे अपितु बोल उठी " "बोल काम करेगा '
घर आते हुए रेड सिंग्नल पर अब मेरे हाथ पर्स से पैसे निकाल लेने को नही उठे अपितु बोल उठी " "बोल काम करेगा '
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