योगदान देने वाला व्यक्ति

17 जनवरी 2015

उतना ही

"
उतना ही "

नीचे आँखे किये वोह मुस्कुरा कर बोली 
" अब भी उतना ही " 
" और कितना "
"जितना तुम्हारा दिल कहता उस'से बस उतना दुगुना " 
"मेरा दिल तो कहता तुम मुझसे प्यार ही नही करती "
" तो यही समझ लो मैं दुगुना प्यार नही करती "
कुछ बाते जो पता होती हैं तो भी उसे बार बार लफ्जों में सुन लेने का दिल चाहता हैं और पुरुष जानते हैं स्त्री के दिल पर उनका ही अधिकार हैं फिर भी शरारती अंदाज़ में हर बार बार बार पूछते हैं 
"कितना प्यार करती हो मुझे "
और स्त्री मंद मंद मुस्कुराती हैं मन के अंदरूनी कोने से 
"उतना ही 

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