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14 जनवरी 2013

Sanskaar

आज फिर माँ ने फ़ोन छीन लिया . जीनत का सन्देश आया होगा , पता नही माँ को क्या हो जाता हैं जब भी सेल फ़ोन में सन्देश को पढने लगता हूँ माँ अचानक कमरे में आ जाती हैं । उम्र हो गयी माँ की जितना भी खुद को प्रगतिशील कहती रहे अंदर से दकियानूसी विचार ही होंगे न । मेरे सब दोस्तों को देखो सबकी कोई न कोई लड़की दोस्त है मुझे तो माँ किसी लड़की से बात करते भी देख लेगी तो बेहोश हो जाएगी कि 
"क्या यह संस्कार दिए हैं मैंने "। 
"पढ़ा मत कर बस जब देखो लडकियां ।" 
अब आजकल माँ को पता नही क्या हो गया हैं जब देखो मुझे भाषण देती रहती है कि  लडकियों से लड़ा मत कर, ज्यादा बात न किया कर ,बस पढाई में ध्यान लगाया कर ,अच्छा बच्चा बन
कितना अच्चा बच्चा बनू /
 जब से यह दिल्ली में   वोह  दामिनी वाला कांड हुआ हैं सबकी मम्मियां बदल गयी हैं  उस पर से यह मीडिया वाले !!
अखबार में शोर मचा  हैं कि  माए अपने लडको मैं संस्कार नही भरती  ! अब संस्कार भी क्या कोई  दवाई हैं जो माँ  हमें खिल देगी ।हम ऐसे काम नही करेंगे  ।अब हम थोरे ही गलत हैं।  अब उन 6 लडको ने जो किया उसका खामियाजा हम क्यों भुगते ?हां अब दोस्तों मैं लडकियों को लेकर हसी -मजाक तो चलता ही हैं पर इन मम्मा लोग को कौन समझाए ?
                                                                 अब कल परवीन की माँ ने उसको ऋचा का मजाक उड़ाते सुन लिया तो बरस पढ़ी ।अब उन्होंने सिर्फ उसको सुना ,उधर से ऋचा क्या क्या बोल रही थी, आंटी को नही पता चला था ।अकेले परवीन ही परेशान नही था क्लास के सारे लड़के लडकिया परेशान थे। परसों अभी की जन्मदिन पार्टी सिर्फ इसी वज़ह से दिन में रखी  गयी क्युकी किसी भी लड़की की माँ उनको शाम 8 बजे तक बाहर रहने की अनुमति नही दे रही थी और किसी भी लड़के की माँ शाम की पार्टी में लडकियों को बुलाने के पक्ष में नही थी  ! अब यह क्या बात हुए ?जब हम क्लास मैं पड़ते हैं तो क्या हम यह सोच कर पढ़ते है के मैं लड़का हूँ यह पाठ पढू और यह लड़की . कितनी गलत बात हैं न !!!!?
:"सोनूऊऊऊउ "
लो हो गयी शुरू मेरी मदर इंडिया अब होगा इनका प्रवचन शुरू "
झुन्झुलाते हुए सुनील ने सामने पढ़ी किताब को खोल लिया और पढने का बहाना बनाने लगा
माँ आई और ढूध  का गिलास रखकर प्यार से सर पर हाथ फेर कर चली गयी
"दूध का गिलास हुह जब देखो यह खा ले वोह खा ले "
. " कभी मुझे अपनी जिन्दगी तो जीने नही देती .
यह फेसबुक ने भी माँ लोगो को बिगाड़ दिया है पता नही कैसे कैसे सहेलियां  बना लेती हैं खुद तो अनजान दोस्त बना लेगी और हम हैं कि  जान पहचान वाली लड़की के साथ स्कूटर पर भी कही नही जा सकते . जब मैं बड़ा हो जाऊँगा न अपने बच्चो को जो चाहे करे करने दूंगा . 
नही पीना मुझे ढूध्ह ."
सोचते सोचते सोनूका दिमाग कहा से कहा पहुच गया  यह उम्र ही ऐसे होती हैं कब कोन  सी बात पर चीड़  जाये कहा नही जा सकता । किसी भी बात पर उनको अपना स्टैंड सही लगता हैं  किसी भी बात को गलत कहा जाए तो  बहस करने को तैयार । उल्टा जवाब देने से मना  करो तो बोलेंगे  माँ हम क्या हम अपनी बात भी नही कह सकते , आप तो बस हमें डांट कर चुप करा देती हो ।अब बच्चे  हैं न सोचो में कहा से कहा तक पहुँच जाते हैं और वक़्त बेकार हो रहा हैं इसका उनको भान ही नही होता
"पापा आ गये पा आ गये "
लवलीन की आवाज़ सुनकर सुनील भी अपने से बाहर की तरफ आया
" अरे वाह ! पापा यह क्या गिफ्ट लाये हो आप !"
"बच्चे मेरा प्रमोशन हो गया हैं "
"आज दफ्तर में  समारोह था उसमे मुझे यह उपहार मिला हैं "
"पापा मैं इसको खोलू?"
"हाँ बच्चे आप इसको खोल कर देखो और अपनी माँ को दिखाओ "
अर्राए !! यह सब क्या हैं
"पापा आये नही के तुमने उनकी तलाशी लेनी शुरू कर दी चलो जाओ यहाँ से , पापा को आराम करने दो "
 उफ़ यह मम्मी भी न !!!!
मन में गुस्सा लिए सुनील अपने कमरे की तरफ  बढ गया
यह मम्मी भी न जब देखो पापा पर अपना एकाधिकार जमा लेती हैं
"दिन भर इनकी किट्टी पार्टी वाली सहेलियों के फ़ोन आते हैं फेस बुक तो खुला ही रहता है आते - जाते झांक लेती हैं किसने क्या लिखा और शाम होते ही पापा पर इनका एकाधिकार यह तो अच्छी बात हैं लवलीन हैं जो उसके साथ खेल लेता हूँ थोड़ी देर
टी।व् भी कुछ देर ही देख पता हूँ  उसकी मेहरबानी से  वरना माँ को तो मुझे दुनिया का सबसे अच्छा  बच्चा बनाने का मैडल लेना हैं "
अब  होम वर्क कर न होगा  कल सुलेकना का जन्म दिन हैं स्कूल मैं ही सबके लिय बर्गर और केक लेकर आएगी अगर माँ को बताया तो कहेगी की 
"क्यों? अपने घर का खाना कहो "
ब्लाह्ह ब्लाह्ह ब्लाह्ह 
कितना बोलती हैं यह माँ लोग "






पापा!!!
सर पर प्यार भरा स्पर्श पाकरहोमवर्क में  मग्न  सुनील का चेहरा खिल गया । पापा के हाथ में खाने की थाली थी . हाथ से एक एक कौर तोड़ कर खिलाते हुए पापा ने ढेरो बाते की
"पापा ! एक बात बताओ क्या लडकियों से लड़ना गलत बात हैं "

"नही बेटा !!!क्यों गलत ! जैसे तुम अपने लड़के दोस्तों  से लड़ते हो वैसे ही उनसे भी लड़ो न वोह तुमसे कमथोडे  ही हैं न "
पापा हस पढ़े
उनको माँ याद आगयी होगी न
"पापा फिर माँ क्यों कहती हैं अब लडकियों से ज्यादा बात मत करो उनको दोस्त नही बनाओ"
 कल सिम्मी आंटी भी कह रही थी के जिस लड़की के लिय दिल्ली में धरना प्रदर्शन हो रहा हैं वोह एक दोस्त के साथ घूमने गयी थी अब  तो बाबा अपने लडको को ही लडकियों से दूर रखो" ऐसा क्यों पापा
क्या अब जीनत का दोस्त नही रहा मैं ? वोह मेरी गर्ल फ्रेंड थोड़े ही है

बच्चे की आँखों में जब सवालो का तूफ़ान उठ'ता हैं तो उसको शांत करना कितना मुश्किल होता हैं ..... आजकल के बच्चे कितने मोर्चो पर लड़ रहे हैं पढाई का बोझ , अच्छे नंबर लाने की होड़ , घर में तनाव की हट आहात उनको परेशान  और   उनको कमजोर बना देती हैं उस पर यह टी।वी और यहमाता -पिता  का फेस बुक प्रेम बच्चो का  रहा सहा टाइम भी उन्होंने ले लिया
सर पर हाथ फेरते हुए सुनील की आँखों में झांकते हुए पापा बोले
"बेटा  दुनिया में जितने भी साधन बने हैं सब मनुष्य की सहूलियत के लिए बने है परन्तु हमने ही  उनको विलासिता बना लिया हैं सबका अब दुपयोग हो रहा हैं आपको सेल फ़ोन दिया गया था की आप जहाभी जाओ हमारी पहुच में रहो आपको कोई भी जरुरत हो आप हमें बुला सको क्युकी अब वो जमाना नही रहा के कोई अजनबी से सहायता ली जाए या वोह सहायता कर भी देगा उसकी गारंटी नही । लेकिन आप सारा  समय व्हाट'स उप पर लगे रहते हो या दोस्तों के साथ संदेशो  का आदान-प्रदान में !इसी तरह जिस तरह का व्यवहार आप अपने लड़के दोस्तों से करते हैं उसी तरह का व्यवहार अपनी लड़की मित्रो से रखो इस उम्र में बहुत आच्छा  लगता हैं विपरीत लिंगी का अपने पास होना , तुम लड़कियों  से दोस्ती रखो परन्तु याद रहे की  हर रिश्ते की एक मर्यादा होती हैं हमें हमेशा अपनी सोचो में भी याद रखना चाहिए की  जैसा हम सोचते है जरुरी नही दूसरा भी ठीक वैसा ही हमारे लिय सोचता होगा इस लिय सबकी सोच की इज्ज़त करनी चाहिए  और किसी के भी स्पर्श को पहचान न चाहिए  न तो किसी को खुद को स्पर्श करने दो न ही किसी को भी स्पर्श करो . भगवन ने हमें लड़का या लड़की बनाया तो हमें दुसरे लिंग की भावनाओ का सम्मान करना चाहिए ।"
                                                          " माना आज तुम्हे एक लड़की बहुत ही प्यारी से लगने लगी हैं तुमको उसका साथ हर वक़्त पसंद हैं तुम दिन में 10 सन्देश उसके सेल पर भेजते हो तो क्या होगा !! तुमको तो वोह पसंद हैं परन्तु उसको तुम न पसंद हो तो या उसको तुम्हारे संदेशो से कुछ फर्क नही पड़ता या उसकी परिवार को नही पसंद होगा यह सब आब उस लड़की को आपकी वज़ह से कितनी परेशानिया होंगी न ..क्या आप चाहोगे के जिसे आप पसंद करते हैं के वोह परेशान हो तो उसकी ख़ुशी के लिय अपने चारो तरफ एक सीमा बनाओ के कोई भी मित्र को चाहे लड़की हो या लड़का न तो हद्द से ज्यादा उसके पीछे पढो न उसको नेगलेक्ट करो बस उसकी शक्सियत को इज्ज़त दो आगे जाकर देखना जब तुम जिन्द्दगी में कुछ बन जाओगे तुम्हारे अच्छे नो आयेंगे तुम कक्षा में आल राउंडर बनकर आसेम्बली मैं खड़े होगे तो सब चाहेंगे के तुमसे दोस्ती करे "
पापा पर वोह जो दिल्ली वाली लड़की थी उसके साथ जो लड़का  दोस्त था उसने गलत किया था  उसके साथ रहकर /जाकर "....... सोनू ने झिझकते हुए पुछा
"नही बेटा  !!!वोह बहुत बहादुर था उसने कुछ गलत नही किया था द्द्दो दोस्त है एक साथ कही जाकर वापिस आ रहे थे बस कुछ राक्षस जैसे लडको ने उनके साथ गलत किया था इसका यह मतलब नही है कि  सब लड़के गलत हैं  न ही  आप गलत हो कि आपको अब लड़की से बात नही करनी ."पापा ने प्यार से सर पर हाथ लगते हुए कहा
"फिर मम्मा क्यों कहती हैं के अब लडकियों में ध्यान न दिया करो "
 "सही तो कहती हैं  आपकी पढाई की उम्र हैं लड़की को दोस्त मानो मनोरंजन का एक साधन नही
और बच्चे !  मम्मी भी एक लड़की है न
अब जब उस लड़की के साथ इतना सब कुछ बुरा हुआ तो अंदर तक उद्वेलित है
उनको बहुत गुस्सा हैं सब पर, पर हम पर नही तुम पर नही वोह हमारी हैं न"  आँखों में आँखे डाल कर पापा ने समझाया
उनको लगता हैं के समाज में बदलाव हो परन्तु कैसे नही जानती . हम दोनों है न हम आपकी मम्मी को कभी ऐसा मौका ही नही देंगे कि  उनको लगे कि  लड़के लडकियों से गलत व्यवहार करते हैं आपका फ़ोन भी उन्होंने जीनत के सन्देश के लिय नही छिना था उन्होंने आपका फ़ोन इस लिय लिया था क्युकी आपके फाइनल परीक्षा पास आरहे है बस इसी लिय 
                         बस उनका तरीका गलत था सारा दिन अखबार , नेट टी।वी पर देख देख कर उनका मन आक्रोशित हो गया हैं अब हमको ही उनको समझना है न "
सुनील का बल मन सोच में पढ़ गया हाँ पापा सही तो कह रहे है मम्मा के मन में परेशानी होगी तभी गुस्से में बोल गयी मुझे वैसे तो है न मेरी प्यारी मम्मा 
 ओके अब मैं मम्मी  को कभी यह महसूस नही होने दूंगा कि
 हर लड़का गलत होता हैं और उनका प्यारा बेटा बनूगा  कमरे सेबाहर दौड़ लगते हुए सुनील जोर से चिल्लाया
"ंंमाँ आआंंआआआआआआआआ
सुनो कल मेरी एक दोस्त का जन्म दिन हैं कोई गिफ्ट दो न उसके लिय .. 
 सब स्कूल मैं ही जन्मदिन मनाएंगे  क्युकी सबको पढना भी है न और हाँ आप मेरा सेल फ़ोन भी अपने पास रख लो जब कही जाऊँगा आप से ले लूँगा "
 पापा परदे के पीछे से देख रहे थे  की बच्चे कितने कोमल होते हैं माँ समझाए या पिता . संस्कार देने से आते हैं समझाने से नही अनदेखी करने से नही 
 आँखों में आंसू लिय पत्नी को देखकर भीग गया उनके मन का भी एक कोना ........................................

30 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

कब किससे क्या पूछताछ होगी,क्या हश्र होगा ..... माँ क्या ,,,, पिता,भाई,खुद लडकियां डरने लगी हैं। एक तरफ दर्द,एक तरफ भय,एक तरफ स्वयं में सोच के हादसों से गुजर जाना .... आसान नहीं इससे उबरना, न यह साबित करना कि किसके मन में कौन सा तूफ़ान है !!!

nayee dunia ने कहा…

सही कहा बच्चों का मन बहुत कोमल होता है उनको प्यार से समझाना ही पड़ता है ,उपदेश ता रोक-टोक से नहीं समझ पाते ........बहुत बढ़िया लिखा आपने नीलिमा जी

avanti singh ने कहा…

सार्थक पोस्ट ,उम्दा लिखा है आप ने

राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' ने कहा…

वाह उम्दा लेख .माँ आखिर माँ है माँ का डर वाजिव भी है

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

यह फेसबुक ने भी माँ लोगो को बिगाड़ दिया है पता नही कैसे कैसे सहेलियां बना लेती हैं खुद तो अनजान दोस्त बना लेगी और हम हैं कि जान पहचान वाली लड़की के साथ स्कूटर पर भी कही नही जा सकते . .....:)
sabse behtareen pankti ye lagi :)
par waise maa ka dar to wajib hi hai na...

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

पापा परदे के पीछे से देख रहे थे की बच्चे कितने कोमल होते हैं माँ समझाए या पिता . संस्कार देने से आते हैं समझाने से नही अनदेखी करने से नही

आँखों में आंसू लिय पत्नी को देखकर भीग गया उनके मन का भी एक कोना .....................
और मेरे मन का भी कोना भीग गया .......

vandana gupta ने कहा…

आईना दिखाती सटीक कहानी

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत सही बढ़िया कहानी है आज के सच को बताती हुई ...

Unknown ने कहा…

आपने हमारे भावों की कदर की, उसके लिए धन्यवाद और आभार ...........सादर नमन .......
RASHMI JEE

Unknown ने कहा…

आपने हमारे भावों की कदर की, उसके लिए धन्यवाद और आभार ...........सादर नमन .......
RASHMI JEE

Unknown ने कहा…

Upasana .ek maa ke man ke bhav bhee bachche samjh jaate hain par pyar se saamjhaana padta hain ......आभार ...........सादर नमन .......

Unknown ने कहा…

आपने हमारे भावों की कदर की, उसके लिए धन्यवाद और आभार ...........सादर नमन .......Avanti ji

Unknown ने कहा…

आपने हमारे भावों की कदर की, उसके लिए धन्यवाद और आभार ...........सादर नमन ....... bikhre aksharo ka sangthan jee

Unknown ने कहा…

आपने हमारे भावों की कदर की, उसके लिए धन्यवाद और आभार ...........सादर नमन ....... Mukesh sinha jee

Unknown ने कहा…

आपने हमारे भावों की कदर की, उसके लिए धन्यवाद और आभार ...........सादर नमन ....... vibhajee

Unknown ने कहा…

आपने हमारे भावों की कदर की, उसके लिए धन्यवाद और आभार ...........सादर नमन ......vandana jee.

Unknown ने कहा…

आपने हमारे भावों की कदर की, उसके लिए धन्यवाद और आभार ...........सादर नमन ....... Ranjana ji

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सभी अभिभावकों के लिए विचारणीय

amrendra "amar" ने कहा…

पापा परदे के पीछे से देख रहे थे की बच्चे कितने कोमल होते हैं माँ समझाए या पिता . संस्कार देने से आते हैं समझाने से नही अनदेखी करने से नही
बेहतरीन लेख के लिए बधाई .वास्तव में बहुत ही उम्दा प्रस्तुति है ..........

उड़ता पंछी ने कहा…

समाज के असली तस्वीर दिखाती है ये रचना !!

हो सके तो इस ब्लॉग पर आपना आशीष दीजियेगा


पोस्ट
Gift- Every Second of My life.

Pallavi saxena ने कहा…

सच है अब आसान नहीं यह जानपान कि किसके मन में क्या छुपा है विचारणीय पोस्ट ....

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

सामयिक और सटीक प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बेह्तरीन अभिव्यक्ति !शुभकामनायें

Unknown ने कहा…

bahut hi satik abhivaykti.....neelemaji...badhai..

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

आज के हालात में लड़का हो या लड़की, दोनों के माँ बाप डरे रहते हैं कि कब क्या हो जाए. इस कहानी के माध्यम से युवा होते बच्चों को बहुत अच्छी शिक्षा दी है आपने; ताकि संस्कारवान हों. शुभकामनाएँ.

vin ने कहा…

बहुत ही सार्थक कहानी .. चिंतन उचित है...यही असली तस्वीर भी है समाज की....बहुत सुंदर...

Unknown ने कहा…

आप सबको मेरी कहानी पसंद आई इसके लिय आप सबकी तहे दिल आभारी हूँ dr Monica jee ,Vinod jee , Shanti jee ,M.M.S jee, prasann jee , pallavi jee,Amrendra jee , udta panchee jee

SANJAY TRIPATHI ने कहा…

एक सुंदर कहानी आज के परिप्रेक्ष्य में

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

अजीब सी कशमकश में है ये मन .....सही तो है संस्कार देने से नहीं ...अपने आप समझने से आते हैं ...

Manohar Chamoli ने कहा…

सुंदर- सटीक कहानी.