योगदान देने वाला व्यक्ति

7 अगस्त 2013

बात करोगी ना मुझसे

" मत करो ना मुझे इतनी रात  को फ़ोन । कहा था न मेरी तबियत ठीक नही हैं  और आपको कोई फर्क नही पढता  रूमानियत का आलम  इस कदर छाया हैं तुम पर के तुम न वक़्त देखते हो न  माहौल . बस सेल फ़ोन मिलाया  और कैसी हो तुम !!!!  क्या पहना हैं आज ??""
 अभी ३ महीने भी नही हुए थे कामिनी की सगाई को .और दिनेश  उसे देर रात  को रोजाना फ़ोन करता था 
अब कैसे कहे कम्मो कि उसे नही पसंद था ऐसी वैसी बाते करना  
"नाराज हो गया न  दीनू " अभी उसका फ़ोन आया था  कि "आपकी बेटी क्या किसी और को पसंद करती हैं जो मुझसे बात नही करती   बात करेंगे तभी तो एक दुसरे को समझ पाएंगे हम  और तुम हो कि  हमेशा अपनी ही दुनिया में  गुमसुम रहना पसंद करती हो "
माँ के गुस्से वाले शब्द सुन कर कम्मो मन ही मन ड र गयी थी  बड़ी मुश्किल से यह रिश्ता हुआ था वरना २ ९ साल की लड़की को कहाँ  अछ्हा  बिज़नेस  वाला लड़का मिलता  हैं ..पर उसकी द्विअर्थी बाते ............उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़  
 सोचते सोचते  कम्मो की उंगुलियां  दिनेश का नम्बर मिलाने   लगी .....अब शादी तो करनी हैं  आदत बनानी होगी उसको ऐसे बातो की ........

3 टिप्‍पणियां:

आत्मसृजन ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है और सही लिखा है.... लड़कियों को क्यो झुकना पडता है समझ से परे है ये बात उससे भी दुःख की बात ये है कि उनके माता-पिता भी लड़कियों के मन कि बात सुनना नहीं चाहते... बँधाई इस सुंदर लघु कथा के लिए और शुभकामनाये

Unknown ने कहा…

शुक्रिया कीर्ति , कथा के मर्म को समझने के लिय

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

सोच कैसे बदला जाये
ऐसी माँ का
इतना दर्द .... रोंगटे खड़े हो जाते हैं