योगदान देने वाला व्यक्ति

27 मार्च 2015

उसकी या इसकी

 बीबी  को इस बार देखकर कुछ अजनबीपन महसूस  हुआ , ट्रक लेकर आसाम से लौटा  गुरदित्ता हैरान था | हर बार उसकी बीबी उसको  मिलकर  चातक की तरह चीत्कार कर उठती  थी पर इस बार  एक शांत झील सी  लग रही हैं |कल रात भी बिस्तर  पर एक शांत  भाव से   साथ दिया \ ना इतने दिन बाद मिलने की उत्सुकता  न उलाहने  न फरमाइशे | ऐसा क्या हो गया  सोचते सोचते उसकी आँख लग गयी \ स्वप्न  में उसे  वोह सड़क किनारे होटल  में मिली लड़की नजर आई जो बार बार खिलखिला रही थी | नींद टूट'ते ही उसने खुद को पसीने में भीगा पाया |  लम्बे समय तक घर से बाहर रहने पर उसने तो अपने  को खुश रखने के साधन बाहर पा लिए थे कही परमजीत भी तो ?? सोचकर उसका दिमाग गुस्से से उबलने लगा | बीजी ने भी कहा था पम्मी आजकल  कमरा बंद किये रहती हैं   हमें क्या मालूम क्या करती हैं | उसने बंद दरवाज़े को जोर से लात मारी  और सामने  पम्मी अरदास कर रही थी
" सच्चे बादशाह  , मेरी तपस्या  मेरे पाठ  सारे सुफल   हुए , मेरा सरताज    ठीक ठाक घर आया  अब उसका कोई काम  यही हो जाए तो मैं चालिया करूंगी |
 गुरदित्ता  आँगन में  सोच रहा था   तन्हाई  किसकी भयावह थी
उसकी या इसकी 

14 मार्च 2015

घर कैसे बने स्वर्ग

" कुछ भूख सी लग रही हैं कुछ बना दो खाने को 
"टाई की नॉट ढीली करते हुए शेखर ने कहा 
"अरे! खुद बना लो कुछ ! 
मैं कुछ लेख लिख रही |
 आज एक अखबार को भेजनी हैं 
अभी अभी उस अखबार के एडिटर उस्मान भाई का जल्दी भेजो का फ़ोन आया था "
"एक कप चाय पिला देती फिर लिखती रहती ! बहुत थक गया हूँ आज " 
"आप कब नही थकते ! जब देखो थके हुए से, मैं अकेली दिन भर दो लफ्जों को तरसती हूँ बन्दा घर आएगा, बीबी से दो बोल प्यार के बोलेगा पर यह तो घर आते ही ऐसे हैं जैसे होटल में आये हैं बीबी चाय बनाये रोटी बनाये | हद हो गयी ! पैसे कमाने वाली बीबी होती तो खुद बनाकर पिलाते गरम चाय यहाँ तो हम दिल का कुछ काम भी नही कर सकते "
 पैर पटकती हुयी निशि रसोई में घुसी
"लो चाय ! और कुछ ? अब बार बार आवाज़ ना लगाना "
"वैसे किस टॉपिक पर लेख लिख रही हो बताती जाओ शायद मैं कुछ आईडिया दे दूँ "
"

घर कैसे बने स्वर्ग ?इस पर
उफ़!! अभी तक कुछ आईडिया ही नही आ रहा "a

10 मार्च 2015

तलाश

तलाश
"देख भाटिया ! अगले महीने मकान खाली कर देना मेरा "
"लेकिन सर जी हमने तो तीन साल की लीज पर आपसे घर लिया था और अभी पांच ही महीने हुए हैं "
"तो क्या हुआ !! दिया ना आज तुझे एक महीने का नोटिस "
"लेकिन सर हमें कारण तो बताये"
'मुझे पड़ोसियों ने बताया तेरी बीबी कश्मीरण हैं और उसके भाई भी तेरे साथ रह कर यहाँ के कॉलेज में पढ़ ते | ओ भगवान् का वास्ता तुझे , मेरा मकान खाली कर | मुझे कोई पंगा नही चाहिए पुलिस से | कल को इन्क्वारी हो जायेगी कि आतंकवादियों यहाँ रहते थे तो मेरी नौकरी चली जायेगी "
और थोड़ी देर के सन्नाटे के बाद फिर दो जोड़ी आँखे इन्टरनेट पर नया घर ढूढने लगी

2 मार्च 2015

" मेरे घर का बजट "


"पेट्रोल के दाम बढ़ गये | सब उपभोक्ता वस्तुए महँगी !! ब्यूटी पार्लर अब दो महीने बाद जाना होगा | पहले भी दो महीने में एक बार खाना बाहर खाते थे अब तीन महीने में एक बार | वई- फाई का प्लान बदलना होगा | अब फिर से दर्जी से कपडे सिलाने होंगे रेडी मेड भी महँगा | सुनते हो अब से थोडा घर खर्च बढ़ा कर देना | काम वाली ने ,चौकीदार ने , स्वीपर ने सबने इस महीने से पगार ज्यादा करने का नोटिस दिया हैं | "
रसोई से पत्नी की जोर से आवाज़ आई 
"हाँ महंगाई तो बढ़ गयी सबको बढ़ी हुयी पगार चाहिए पर मेरी तनख्वाह तो नही बढ़ी !! कहने को बैंक कर्मचारी पर कोल्हू के बैल से ..... न घर में बीबी खुश न बैंक में बॉस . मेरे घर का बजट भी देश के बजट सा हो गया हमेशा घाटे का बजट ||"
पति तौलिया उठा बाथरूम में जा घुसा इसके पहले पत्नी कुछ और डिमांड करे उसे टारगेट कैसे प्राप्त करे यह सोचना हैं