"कल भी सन्डे हैं और एक बार फिर मैं अकेली .. आखिर कब तक ऐसे चलेगा "
" अब बताओ क्या करू नौकरी करनी हैं तो क्या नखरे ऑफिस वाले जहाँ कहेंगे रहना होगा न आजकल ऑडिट चल रहा हैं सन्डे को भी काम करना होता हैं " पक्का अगले सन्डे घर आऊँगा मैं भी बच्चो के लिय उदास हूँ
फ़ोन रखकर निम्मी सोचने लगी ....... क्या सिर्फ बच्चो के लिय .मेरा कोई वजूद नही मैं तो जैसे केयरटेकर बनकर रह रही हूँ यहाँ खुद १५० किमी दूर दुसरे शहरमें नौकरी कर रहे हैं
मन किसी काम में नही लग रहा था पनीर उठाकर फ्रीज मैं रख दिया नही बनाना मुझे कुछ भी ... बच्चे तो वैसे भी मेग्गी खाकर खुश हो जायेगे .
टिंग टोंग।सुनते ही हडबडा कर उठी निम्मी ने लाइट जलाकर वक़्त देखा .रात के १ बजे हैं कोन होगा इस वक़्त .दुपट्टा ओउध्ते हुए उसने खिड़की से बाहर झाँका एक परछाईसी गेट कूदते हुए नजर आई .उफ्फ्फ्फ़ कोई चोर होगा पक्का सबको पता हैं कि मैं अकेली हूँ बच्चो के साथ ... राम राम करते हुए उसने मिम्याती हुई आवाज़ मैं पूछा " कौन हैं वहां"
"निम्मी खोल ना दरवाज़ा कब से बारिश मैं भीग रहा हूँ "
अह्ह्ह यह तो उनकी आवाज़ हैं
आआप!!! "
" क्यों? किसी और का इंतज़ार था क्या "
"नही किसी का इंतज़ार ही तो नही था "
"मैंने सुन ली थी तुम्हारी खामोश सिसकिया फ़ोन पर और रहा नही गया सो आगया "
" सुबह सुबह वापिस चला जाऊँगा .
बॉस से कल १२ बजे तक आने का कह कर आया हूँ "
निम्मी सुनते ही किलक उठी मन से "हाँ मैं भी बहुत कुछ हूँ तुम्हारे लिय "
सुनो क्या खाओगे इस वक़्त ???
" अब बताओ क्या करू नौकरी करनी हैं तो क्या नखरे ऑफिस वाले जहाँ कहेंगे रहना होगा न आजकल ऑडिट चल रहा हैं सन्डे को भी काम करना होता हैं " पक्का अगले सन्डे घर आऊँगा मैं भी बच्चो के लिय उदास हूँ
फ़ोन रखकर निम्मी सोचने लगी ....... क्या सिर्फ बच्चो के लिय .मेरा कोई वजूद नही मैं तो जैसे केयरटेकर बनकर रह रही हूँ यहाँ खुद १५० किमी दूर दुसरे शहरमें नौकरी कर रहे हैं
मन किसी काम में नही लग रहा था पनीर उठाकर फ्रीज मैं रख दिया नही बनाना मुझे कुछ भी ... बच्चे तो वैसे भी मेग्गी खाकर खुश हो जायेगे .
टिंग टोंग।सुनते ही हडबडा कर उठी निम्मी ने लाइट जलाकर वक़्त देखा .रात के १ बजे हैं कोन होगा इस वक़्त .दुपट्टा ओउध्ते हुए उसने खिड़की से बाहर झाँका एक परछाईसी गेट कूदते हुए नजर आई .उफ्फ्फ्फ़ कोई चोर होगा पक्का सबको पता हैं कि मैं अकेली हूँ बच्चो के साथ ... राम राम करते हुए उसने मिम्याती हुई आवाज़ मैं पूछा " कौन हैं वहां"
"निम्मी खोल ना दरवाज़ा कब से बारिश मैं भीग रहा हूँ "
अह्ह्ह यह तो उनकी आवाज़ हैं
आआप!!! "
" क्यों? किसी और का इंतज़ार था क्या "
"नही किसी का इंतज़ार ही तो नही था "
"मैंने सुन ली थी तुम्हारी खामोश सिसकिया फ़ोन पर और रहा नही गया सो आगया "
" सुबह सुबह वापिस चला जाऊँगा .
बॉस से कल १२ बजे तक आने का कह कर आया हूँ "
निम्मी सुनते ही किलक उठी मन से "हाँ मैं भी बहुत कुछ हूँ तुम्हारे लिय "
सुनो क्या खाओगे इस वक़्त ???
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