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15 अगस्त 2013

माँ ...आज क्या हैं .......

लघु कथा 

अरे मेरा बच्चा किधर गया !! अभी तो यही था ... भूख से तड़प रहा था .गयी थी साथ वाली कोठी मैं ..कुछ कम करदू तो शायद कुछ खाने को दे दे ... अपने गांव से आये थे शहर जाकर चार पैसे कमाएंगे .जिल्लत की जिन्दगी से निजात मिलेगी पर यहाँ तो हम
छुवाछुत का शिकार हो गये ..बाबु लोग यह सब तो गाँव में होता हैं पर यहाँ शहर में उस'से भी ज्यादा .काम मांगने जाओ तो कोठी वाली पूछती हैं कोण जात की हो ? अब मैं अपनी जात छुपकर रखना सीख गयी हूँ .. कल उस पीली कोठी वाली ने काम से निकाल दिया अब १० ० ० कमरे का किराया खाना पीना मच्छी कितना पयेसा लगता हैं बाबु .. तुम कहते हो बच्चो को स्कूल भेज दूँ बाबु जिन्दगी चाहिए मुझे बच्चे की जहर वालाखाना खाने के लिय नही भेजना उसको वहां ..भूख से एक वक़्त की रोटी मंजूर हैं .अपने बच्चो को भेजो न एक दिन उस स्कूल मैं ....
अरे मुन्ना किदर से आया बिटवा यह लड्डू किसने दिए .आंसू लिय आँखों मैं माँ रोने लगी
ए माँ आज कुछ हैं वहां लोग सुथरे कपडे पहने लड्डू बाँट रहे पेड़ लगा रहे कुछ बाते भी बोल रहे .फोटू भी खींची हम सबकी दो दो लड्डू दिए थे उन्होंने
पर .लो पूरे दस लड्डू लाया हूँ छुपाकर .सबकी प्लेटो से .
कितने दिन हुए थे न मीठा खाए .......जा इ झंडा वहां खिड़ की में लगा दे
माँ लड्डू कितना मीठा हैं न .पर आज तो दीवाली भी नही

माँ ...आज क्या हैं .......
रेडियो पर गाना बज रहा था .......... नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुठ्ठी में क्या हैं ???
मुठ्ठी में हैं ....................


Neelima sharma

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